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अजनबी आँखें / अली सरदार जाफ़री
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13:09, 15 सितम्बर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
|संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री
}}
{{KKCatNazm}}
<poem>
सारी शामें उनमें डूबीं
सारी रातें उनमें
खोयीं
खोईं
सारे साग़र उनमें टूटे
सारी मय
Shrddha
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