गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
जीता दीपक / राम सनेहीलाल शर्मा 'यायावर'
976 bytes added
,
13:29, 15 सितम्बर 2009
}}
<poem>
दीपक ने रख दिया
अंधेरे की छाती पर पाँव।
सूरज हाँफ रहा था तम का
सिंहनाद गूँजा
अंधी रात
उजाला बना दिया था भड़भूजा
तभी उठा समवेत
गरजने लगा स्नेह का गाँव
छत के हिस्से में आई है
आज विहँसती शाम
द्वार करेगा स्वागत
आएँगे घर विजयी राम
आंगन खड़ा हो गया
करके रंगोली की छाँव
अँधकार के साथ वही
दृढ़ आस्था अपने आप
जुआ खेलती रही
अँधेरे कोने में चुपचाप
जीता दीपक
यद्यपि तम ने
चले निरंतर दाँव।
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,395
edits