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08:20, 16 सितम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल
}}
<poem>समांतर भागती रेल पटरियों बीच
उभरा नहीं अभी
एक आँख वाला सूरज
प्लेटफॉर्म के इश्तहारों से ऊब
गठरियों, अटैचियों से आंख चुरा
मैग़ज़ीन के पन्ने समेट
मालगाड़ियों में संगीत तलाशा है हमने।
</poem>