Changes

महाकाल / अवतार एनगिल

1,041 bytes added, 08:42, 16 सितम्बर 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एन...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल
}}
<poem>हल्की काली धरती पर
महाकाल के बरगदों के साये
फैल गए हैं
तूफानों की चीत्कार में
गर्भपात के भय से
रोशनियों के नक्शे पथरा गए हैं

कुछ-हो-जाने-की-दहशत
वहशत की चड़ेल को जन्म दे दिया है
जंगल की वीरान आवाज़ों में
पेड़ों की परछाईयों पर
तैरती हैं
छाती पीटते बनमानुष की चीख़

पर महाकाल के नृत्य में
मन का जुगनू
काल का ही हृदय बन
धड़कता है।
</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits