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10:07, 16 सितम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल
}}
<poem>फाईलों के बोझिल अहसास-सा
बीत गया दिन
एक और
शाम की मैना
प्लेटफार्म के जंगले पर
गई ऊँघ
अर्थों की भीड़ ने
दौरा किया है
प्रश्न एक
एक प्रश्न
गड़गड़हट में रेल की
गया जो दब।
</poem>