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17:02, 16 सितम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
|संग्रह=
}}
<poem>तेरी हर छुअन के बाद ..
दिल हो जाता है ..
यूँ हरा भरा ..
सुनहरा ...
तेरी ही सुंगंध ..
में डूबा ..
जैसे ....
बरसात के बाद ..
हरी पत्तियां ....
सोनल धूप की छुअन से ,
दिप -दिप सी खिल उठती हैं
और फ़िर सब तरफ़
हरा भरा सा ....
मन हो झूमने लगता है...</poem>