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18:14, 16 सितम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
|संग्रह=
}}
<poem>उम्र.....
कुछ यूँ बही
जैसे नदी का
तेज बहाव
उम्र.....
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम
उम्र.....
तन्हा रास्ता
तन्हा ही है
दुनिया का मेला
जाए हर कोई अकेला ।</poem>