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18:45, 16 सितम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
|संग्रह=
}}
<poem>
'''1'''
मुस्कान..
जैसे..
तपते मरुथल मन
पर घिरती
शीतल सी छाया !
'''2'''
मुस्कान..
जैसे..
नवजात की पहली
दंत पंक्ति
'''3'''
मुस्कान..
जैसे..
बिन कहे ही
कह दी हो
सब बात ...
'''4'''
मुस्कान ...
जैसे ....
पतझड़ के बाद
खिले वसन्त
</poem>