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यूँ ही बेसबब न फिरा करो / बशीर बद्र
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19:38, 31 अक्टूबर 2006
नहीं बेहिजाब वो चाँद सा कि नज़र का कोई असर नहीं <br>
उसे
तनी
इतनी
गर्मी-ए-शौक़ से बड़ी देर तक न तका करो <br><br>
Lalit Kumar
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