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ओ सावन के बादल / पंकज सुबीर
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03:41, 19 सितम्बर 2009
पिछवाड़े के नीम पे झूला डाला होगा काकाजी ने ।
उस झूले पर बैठ हुमकना पुरवय्या होगी मस्तानी ॥
नदिया के कानों में थोड़ा शरमा कर ये बतला देना।
आते माघ पूस तक बन जाएगी तू अम्मा से नानी ॥
प्रकाश बादल
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