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05:02, 19 सितम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अदम गोंडवी
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<poem>विकट बाढ़ की करुण कहानी नदियों का संन्यास लिखा है।
बूढ़े बरगद के वल्कल पर सदियों का इतिहास लिखा है।।
क्रूर नियति ने इसकी किस्मत से कैसा खिलवाड़ किया।
मन के पृष्ठों पर शकुंतला अधरों पर संत्रास लिखा है।।
छाया मंदिर महकती रहती गोया तुलसी की चौपाई
लेकिन स्वप्निल, स्मृतियों में सीता का वनवास लिखा है।।
नागफनी जो उगा रही है गमलों में गुलाब के बदले
शाखों पर उस शापित पीढ़ी का खंडित विश्वास लिखा है।।
लू के गर्म झकोरों से जब पछुवा तन को झुलसा जाती
इसने मेरे तन्हाई के मरुथल में मधुमास लिखा है।।
अर्धतृप्ति उद्दाम वासना ये मानव जीवन का सच है
धरती के इस खंडकाव्य में विरह दग्ध उच्छवास लिखा है।।</poem>