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अच्छी है यही खुद्दारी क्या/ श्रद्धा जैन
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16:07, 21 सितम्बर 2009
जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों
अश्क़ों
से हुई गद्दारी क्या
हंस के जो मिलो सोचे दुनिया
बातें तो कहे सच्ची "श्रद्धा"
वे सोचे, मीठी
खारी
ख़ारी
क्या </poem>
Shrddha
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