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ये सुरमई फ़ज़ाओं की कुछ कुनमुनाहटें / फ़िराक़ गोरखपुरी
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02:23, 23 सितम्बर 2009
मेरी ग़ज़ल की जान समझना उन्हें ’फ़िराक़’
शम्मएं
शम्मअ-ए
- ख़याले - यार की ये थरथराहटें।
* गोर्की की सुप्रसिद्ध कहानी ’छब्बिस आदमी और एक लड़की’ पढ़कर - ’फ़िराक़’
द्विजेन्द्र द्विज
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