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मेरा संबल / हरिवंशराय बच्चन

4 bytes added, 16:59, 23 सितम्बर 2009
<poem>
मैं जीवन की हर हल चल में
कुछ पल सुखमय,अमरण अक्षय,
चुन लेता हूँ।
मैं जग के हर कोलाहल में
कुछ स्वर मधुमय,उन्मुक्त अभय,
सुन लेता हूँ।
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