गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ख़ुदारा! न दो बदगुमानी का मौका / आरज़ू लखनवी
419 bytes added
,
08:54, 25 सितम्बर 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आरज़ू लखनवी }} <poem> खुदारा ! न दो बदगुमानी का मौक़ा।...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आरज़ू लखनवी
}}
<poem>
खुदारा ! न दो बदगुमानी का मौक़ा।
कहलवा के औरों से पैग़ाम अपना॥
हविसकार आशिक भी ऐसा है जैसे--
वह बन्दा कि रख ले ख़ुदा नाम अपना॥
</poem>
चंद्र मौलेश्वर
Mover, Uploader
943
edits