गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ललक / अब्दुल्ला पेसिऊ
94 bytes added
,
06:02, 26 सितम्बर 2009
बल्कि यह है कि
कहीं धुल न जाए
स्मृति से उनकी सुगन्ध।
'''अंग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र'''
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,751
edits