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नागिन / हरिवंशराय बच्चन
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11:48, 26 सितम्बर 2009
कज्जल-सा कालापन लेकर,
तू नवल
सृष्टि
सृष्टि
की ऊषा की
नव द्युति अपने अंगों में भर,
दृग-कोयों का रच बंदीघर,
कौंधती
तड़ित
तड़ित
को जिह्वा-सी
विष-मधुमय दाँतों में दाबे,
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