गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मैंने मान ली तब हार / हरिवंशराय बच्चन
255 bytes added
,
03:46, 28 सितम्बर 2009
मैंने मान ली तब हार!
विश्व ने कंचन दिखाकर
कर लिया अधिकार उसपर,
मैं जिसे निज प्राण देकर भी न पाया जीत,
मैंने मान ली तब हार!
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits