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था तुम्हें मैंने रुलाया / हरिवंशराय बच्चन
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20:12, 12 नवम्बर 2006
सोचता हूँ बैठ तट पर -<br>
क्यों अभी तक डूब इसमें कर न अपना अंत पाया!<br>
था तुम्हें मैंने रुलाया!
<br><br><br>
-- हरिवंशराय बच्चन के कविता संग्रह "निशा निमन्त्रण" से
<br><br>
Lalit Kumar
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