Changes

टूट पिसे, मरु-सिसका-कण के
रूप उड़े, कुछ घुआँघुवाँ-घुआँघुवाँ-सा अंबर में छाया!
तुम्‍हारा लौह चक्र आया!
अचरज से निज मुख फैलाया,
दंत-चिन्ह चिह्न केवल मानव का जब उस पर पाया!
तुम्‍हारा लौह चक्र आया!
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits