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जीवन शाप या वरदान / हरिवंशराय बच्चन
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07:44, 29 सितम्बर 2009
मौन को मुखरित बनाया,
करुन क्रंदन को बताया क्यों
मगर मधुर
मधुरतम
गान?
जीवन शाप या वरदान?
पूर्ण भी जीवन करोगे,
हर्ष से क्षण
-
क्षण भरोगे,
तो न कर
देंगे
दोगे
उसे
सब
क्या
एक दिन बलिदान?
जीवन शाप या वरदान?
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