मंजिल भी तो है दूर नहीं-
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दीजल्दी-जल्दी जल्दी चलता है!
दिन जल्दीजल्दी-जल्दी जल्दी ढलता है!
बच्चे प्रत्याशा बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगे--
यह ध्यान ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
दिन जल्दीजल्दी-जल्दी जल्दी ढलता है!
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है!
दिन जल्दीजल्दी-जल्दी जल्दी ढलता है!