काल क्रम से-
जिसके आगे झंझा रूतेरूकते,
जिसके आगे पर्वत झुकते-
प्राणों का प्यारा प्यारा धन-कंचन
सहसा अपहृत हो जाने पर
जिसको समझा सुकरात नहीं-
जिसको बुझा बूझा बुकरात नहीं-
क़िस्मत क़िस्मत का प्यारा प्यारा धन-कंचन
सहसा अपहृत हो जाने पर
आत्म आत्म भ्रम से-
जिससे योगी ठग जाते हैं,
कालक्रम से, नियति-नियति से,
आत्म आत्म भ्रम से
रह न गया जो, मिल न सका जो,