{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
|संग्रह=एकांत-संगीत / हरिवंशराय बच्चन
}}
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<poem>
तट पर है तरुवर एकाकी,
नौका है, सागर में,
अंतरिक्ष में खग एकाकी,
तारा है, अंबर में,
तट पर है तरुवर एकाकी<br>नौक है सागर में<br>अंतरिक्ष में खग एकाकी<br>तारा है अंबर में;<br> भू पर वन, वारिधि पर बेडेबेड़े,<br>नभ में उडु-खग मेला,<br> नर-नारी से भरे जगत में<br>कवि क का हृदय अकेला ।!</poem>