गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
फिर वर्ष नूतन आ गया / हरिवंशराय बच्चन
6 bytes removed
,
22:57, 1 अक्टूबर 2009
निश्चित अँधेरा तो हुआ,
सुख कम नहीं मुझको हुआ,
द्विविधा
दुविधा
मिटी, यह भी नियति की है नहीं कुछ कम दया।
फिर वर्ष नूतन आ गया!
हेमंत जोशी
Mover, Uploader
752
edits