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बुझे दीपक जला लूँ / महादेवी वर्मा
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|संग्रह=दीपगीत / महादेवी वर्मा
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सब बुझे दीपक जला लूँ !<br>
घिर रहा तम आज दीपक-रागिनी अपनी जगा लूँ !<br><br>
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