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कुंठा / दुष्यंत कुमार
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,
01:00, 17 नवम्बर 2006
रेशम के कीड़ों सी<br>
ताने-बाने बुनती,<br>
तड़फ़ तड़फ़कर
तड़फ तड़फकर
<br>
बाहर आने को सिर धुनती,<br>
स्वर से<br>
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घनश्याम चन्द्र गुप्त