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मेरा नया बचपन / सुभद्राकुमारी चौहान
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08:53, 19 मई 2007
तान रसीली थी कानों में चंचल छैल छबीली थी॥<br><br>
दिल में एक चुभन-सी
भी
थी यह दुनिया अलबेली थी।<br>
मन में एक पहेली थी मैं सब के बीच अकेली थी॥<br><br>
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Ramadwivedi