गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
एक बच्ची को चिट्ठी / शिवप्रसाद जोशी
3 bytes added
,
04:42, 6 अक्टूबर 2009
<poem>
हमारे चेहरे धूल और पसीने से भर जाते हैं
बख़ार
बुख़ार
से तपा रहता है शरीर
उदासी बर्फ़ की तरह भीतर जमी रहती है
और तुम्हारी याद आती है तान्या
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits