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उस प्रभात, तू बात न माने / माखनलाल चतुर्वेदी
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15:06, 6 अक्टूबर 2009
युग बोला, तू अमर तस्र्ण है
मति ने स्मृति आँचल सरकाया,
जी में खोजा, तुझे न
पाया
तू साजन, क्यों दौड़ न आया?
</poem>
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