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मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी / माखनलाल चतुर्वेदी
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05:10, 7 अक्टूबर 2009
मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी !
उस सीमा-रेखा पर
जिसके ओर न छोर निशानी; मचल
मत, दूर-दूर, ओ मानी !
घास-पात से बनी वहीं
मेरी कुटिया मस्तानी,
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