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दान / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
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14:26, 8 अक्टूबर 2009
लेकर झोली आये ऊपर,
देखकर चले तत्पर वानर।
द्विज राम-भक्त, भक्ति
के
की
आश
भजते शिव को बारहों मास;
कर रामायण का पारायण
जपने
जपते
हैं श्रीमन्नारायण;
दुख पाते जब होते अनाथ,
कहते कपियों से जोड़ हाथ,
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