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दुरमुट / प्रताप सहगल
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|रचनाकार=प्रताप सहगल
}}
{{KKCatKavita}}
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मज़दूर के हाथों
रोडी
रोड़ी
कूटता दुरमुट
फिसल जाता है
स्टेनगन होता है दुरमुट
और धर्माचार्य के
होठों
होंठों
पर
काला मंत्र
अनिल जनविजय
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