गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
और और छबि / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
2 bytes added
,
15:08, 11 अक्टूबर 2009
:यज्ञ है यहाँ,
जैसा देखा पहले होता अथवा सुना;
:
किन्तु नहीं पहले की,
:
यहाँ कहीं हवि, रे यह
::::और और छबि!
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits