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|रचनाकार=अटल बिहारी वाजपेयी
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<poem>
किसी रात को
मेरी नींद आचानक उचट जाती है
आँख खुल जाती है
मैं सोचने लगता हूँ कि
जिन वैज्ञानिकों ने अणु अस्त्रों का
आविष्कार किया था
वे हिरोशिमा-नागासाकी के भीषण
नरसंहार के समाचार सुनकर
रात को कैसे सोए होंगे?
क्या उन्हें एक क्षण के लिए सही
ये अनुभूति नहीं हुई कि
उनके हाथों जो कुछ हुआ
अच्छा नहीं हुआ!
किसी रात को <br>मेरी नींद आचानक उचट जाती है <br>आँख खुल जाती है <br>मैं सोचने लगता हूँ कि <br>जिन वैज्ञानिकों ने अणु अस्त्रों का <br>आविष्कार किया था <br>वे हिरोशिमा-नागासाकी के भीषण <br>नरसंहार के समाचार सुनकर <br>रात को कैसे सोए होंगे? <br>क्या उन्हें एक क्षण के लिए सही <br>ये अनुभूति नहीं हुई कि <br>उनके हाथों जो कुछ हुआ <br>अच्छा नहीं हुआ! <br><br> यदि हुई, तो वक़्त उन्हें कटघरे में खड़ा नहीं करेगा <br> किन्तु यदि नहीं हुई तो इतिहास उन्हें <br> कभी माफ़ नहीं करेगा! <br><br/poem>
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