Changes

परिवर्तन / सुमित्रानंदन पंत

15 bytes added, 19:30, 12 अक्टूबर 2009
|रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत
}}
{{KKCatKavita}}<poem>आज कहां वह पूर्ण पुरातन, वह सुवर्ण का काल?
भूतियों का दिगंत छबि जाल,
ज्योति चुम्बित जगती का भाल?
निखिल उत्थान, पतन!
अहे वासुकि सहस्र फन!
 
 
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits