गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अनिकेत / अजन्ता देव
3 bytes added
,
04:55, 16 अक्टूबर 2009
सभी कक्ष बंद किए जा रहे हैं
खुला है केवल एक अकेला द्वार
बहर
बाहर
नक्षत्रों की खचाखच है
पीछे बंद होती साँकल की
धातुई ध्वनि
कुमार मुकुल
177
edits