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सेना लखि द्रोण सों बोल रहे
हे गुरुवार गुरुवर ! व्यूहामयी खड़ीव्यूहमयी ठाड़ी,
पाण्डु के पुत्रन की सेना.
द्रुपद पुत्र सुतन ने जाहि रच्यो ,
जुद्ध इनहीं सों तो होना