गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
धरती का आँगन इठलाता / सुमित्रानंदन पंत
18 bytes added
,
04:07, 17 अक्टूबर 2009
|रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>धरती का आँगन इठलाता!
शस्य श्यामला भू का यौवन
अंतरिक्ष का हृदय लुभाता!
नव श्री शोभा से उन्मेषित
हम वसुधैव कुटुम्ब ध्येय रख
बनें नये युग के निर्माता!</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits