{{KKRachna
|रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी
}} {{KKCatKavita}}<poem>वंदिनी तव वंदना में<br>कौन सा मैं गीत गाऊँ?<br><br>
स्वर उठे मेरा गगन पर,<br>बने गुंजित ध्वनित मन पर,<br>कोटि कण्ठों में तुम्हारी<br>वेदना कैसे बजाऊँ?<br><br>
फिर, न कसकें क्रूर कड़ियाँ,<br>बनें शीतल जलन–घड़ियाँ,<br>प्राण का चन्दन तुम्हारे<br>किस चरण तल पर लगाऊँ?<br><br>
धूलि लुiण्ठत हो न अलकें,<br>खिलें पा नवज्योति पलकें,<br>दुर्दिनों में भाग्य की<br>मधु चंद्रिका कैसे खिलाऊँ?<br><br>
तुम उठो माँ! पा नवल बल,<br>दीप्त हो फिर भाल उज्ज्वल!<br>इस निबिड़ नीरव निशा में<br>किस उषा की रश्मि लाऊँ?<br><br>
वन्दिनी तव वन्दना में<br>कौन सा मैं गीत गाऊँ? <br><br/poem>