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गोल फूला हुआ / गुलज़ार
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15:37, 18 अक्टूबर 2009
एक नुकीली पहाड़ी यूँ जाके टिका है
जैसे ऊँगली पे मदारी ने उठा रक्खा हो गोला
फूँक से ठेलो तो पानी
में
उतर जाएगा
भक से फट जाएगा फूला हुआ सूरज का ग़ुब्बारा
छन
-
से बुझ जाएगा इक और दहकता हुआ दिन
</poem>
Shrddha
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