|संग्रह= कुरुक्षेत्र / रामधारी सिंह 'दिनकर'
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और जब,<br>
और हर्ष-निनाद अन्तःशून्य-सा<br>
लड़खड़ता मर रहा था वायु में।<br><br>
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