--[[सदस्य:Shrddha|Shrddha]] ०८:०३, १४ अक्टूबर २००९ (UTC)
==सूरदास==
प्रिय धर्मेन्द्र जी!
जिस पन्ने पर सूरदास का पद लिखा हुआ है, उसी पन्ने पर उसका भावार्थ पद के साथ देना ही उचित है। यह ज़रूरी नहीं कि हर पाठक पद को तुरन्त समझ ही लेता है। पद पढ़ने के बाद या पद को पढ़ने के साथ-साथ वह पंक्ति-दर-पंक्ति उसका भावार्थ भी जानना चाहता है और ऐसा तभी सुविधाजनक होता है जब भावार्थ उसी पन्ने पर हो जिस पर पद है। अलग पन्ने पर भावार्थ ढूँढ़कर उसे पढ़ना पाठक के लिए एक कठिन प्रक्रिया होगी। उसे कुछ अतिरिक्त बटन दबाने होंगे, बार-बार आगे-पीछे भागना-दौड़ना होगा जो असुविधाजनक होगा।
दूसरी बात यह है कि हम इस कोश को छात्रों और विद्यार्थियों के लिए तथा विदेशी पाठकों के लिए भी तैयार कर रहे हैं ताकि उनके लिए भी यह लाभप्रद रहे। उन्हें सुविधा एक ही जगह पर पद और भावार्थ मिल जाने में ही होगी।
सादर
--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] १४:३८, १९ अक्टूबर २००९ (UTC)