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साँचा:KKPoemOfTheWeek

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<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png]]</td>
<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: '''शव-धर्म दीपावली <br>&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[शमशाद इलाही अंसारीशिवप्रसाद जोशी]]</td>
</tr>
</table>
<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none">
 मैंअब शव बन चुका हूँसामाजिक सरोकारों- सक्रियता का अभावशव धर्म हैमैं, मेरा घर मेरे बच्चेमेरा संचित-अर्जित अर्थयही सत्य हैयही शव धर्म है| मेरे पडौ़स मेंकोई भी, कभी भी आकरहत्या कर सकता हैलूट सकता हैगृहणी को कर सकता है बेआबरुमुझे कोई चीत्कार, कोई आवाज़सुनाई तुम्हें नहीं देगी।छोडूंगीकाट लूंगी तुम्हारी उगुंलियाँमैं निश्च्ल हूँखा जाऊंगी तुम्हेंनिश्प्रह हूँसमझे तुमक्योंकि, मैं शव हूँ। मैं चलता फ़िरता हूँआजीविका अर्जन हेतुवे सभी क्रियाएँ अंजाम देता हूँजो अन्य सभी करते हैं। मैं हूँ लोकल ट्रेन में भीबसों, हवाई जहाज़ और होटलों मे भीमेरे बराबर में खडी़इस सुंदर नवयुवती परआप आसक्त हो सकते हैंकोई अश्लील हरकत कर सकते हैंउदण्डता युक्त साहस है तोचलती ट्रेन में उसकाजबरन कर सकते हैं शीलभंगमैं और मेरे जैसे और सभीशवों अपने सिर से भरी इस ट्रेन मेंकोई चूँ भी नहीं करेगा। हम सब अपने शव धर्म काअनुशासन जानते हैंअनुपालन जानते हैंउसकी गरिमा पहचानते हैंहम सभी बहुत शिक्षित हैंनिरीह,अनपढ़,जाहिल,गँवार,मज़दूर नहींलड़ना शव धर्म नहींहम सच्चे शव धर्मी हैंक्योंकि,मैं, मेरा घर मेरे बच्चेसिर न टकराओमेरा संचित-अर्जित अर्थये बताओ कब आओगेयही सत्य हैयही शव धर्म है। तुम कभी भी-कहीं भीअकेले अथवा समुह के साथमेरी गली में, चौक मेंबैंक में, भरे बाज़ार मेंधूप में या अंधेरे मेंमैं जहाँ कहीं भी हूँमेरी उपस्थिती सर्वव्यापी हैअपराध-हत्या कर सकते हैंक्योंकि मैं ज्ञानी हूँध्यानी हूँ,मैं अति-अस्तित्वादी हूँमैं शव धर्मी हूँ।मुझे ज्ञात है यह विधि-सूत्रमरना-मारना, चीर हरण कोई बुरी बात नहींमात्र वस्त्रों का विनिमय हैजुए की हार जीत है। सृष्टि का यही कथानक हैक्योंकि,मैं, मेरा घर मेरे बच्चेमेरा संचित-अर्जित अर्थयही सत्य हैयही शव धर्म है। तुम स्वतन्त्र कहाँ होयह लोकतंत्र हैतुम्हे आज़ादी हैदल की, बल कीतुम चाहो तो मेरे समक्षजला सकते और ये हँस क्यों रहे हो पूरी की पूरीहरी भरी, बस्तियाँपूर्व-चिन्हित महिलाओं का कर सकते होसामुहिक बलात्कारघौंप सकते हो उनके गुप्तांग बेकार मेंअपने दल का झण्डाकर सकते हो ढेरों हत्यायेंजला सकते हो दिनदहाडे़ मानव शरीरों की होलीचला सकते हो किसी भी संम्प्रदाय के विरुद्धतुमने एक उपहार भेजा अच्छा लगातुमने एक सामूहिक हिंसक अभियान।पोशाक भेजी अच्छी लगीलेकिन तुम भेज सकते इतनी दूर क्यों हो अपनी फ़ौजें-पुलिस बलकश्मीर में, सुदूर उत्तर पूर्व में,बस्तर इतने पास हो और आंध्र के जंगलों मेंफ़ौरन क्यों नहीं चले आतेकर सकते हो अनगिनत हत्यायेंराज्य सुरक्षा के परचम तलेभर सकते हो जेलें, बिना मुकदमा चलायेभून सकते हो सरे बाज़ारमानवाधिकारों के होले-चौराहों पर। मैं तुम्हे धन दूंगा, यदि कम पडा़ ये कम्प्यूटर तुम्हारा ही तोहैअपने विदेशी परिजनों से भीलेकर तुम्हें दूंगाबस, एक छोटी सी विनती जहाज़ के साथटायर नहीं होतेहमारे धर्म-गुरु बाबा-बापू-आलिम काएक धारावाहिक और लगा देनादूरदर्शन वे चलते हैं ज़मीन पर उसका समय और बढा़ देनामेरे घर में शांति रहेगी। तुम कुछ भी करोमैं चुप हूँ, चुप रहूँगान कुछ देखा मेरी गुड़िया का आज जन्मदिन है, न देखूंगागणेश को सारे लड्डू कुछ सुना है, न सुनूंगाक्योंकि मैं जन्मजात शांतिप्रिय हूँ। मैं शव धर्मी हूँमैं, मेरा घर मेरे बच्चेमेरा संचित-अर्जित अर्थयही सत्य हैयही शव धर्म है। यह जनतंत्र हैतुम लड़ो़ चुनावबनाओ अपनी सरकारेंकेन्द्र में, राज्यों मेंचलाओ अपना शासनखिलाओ माँमुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ताक्योंकि, मैं मतदान ही नहीं करता। मेरे बही-खा़तों में एक महत्वपूर्ण पृष्ठ भी खाना हैनाम है जिसका"दान-खाता"वहाँ कई रंग-बिरंगे दलों केनाम लिखे हैंऔर अब बाबा से तो मैं योग्यतानुसार दान करता हूँमेरा कोई कार्य नहीं रुकताकिसी भी सरकारी कार्यालय मेंसभी को मालूम है मेरा नामकरूंगी बातबस यह गुण मैंने सीखा कहकर हटती हैअपने पूर्वजों बेटीपिता सेइंटरनेट टेलीफ़ोनी करती हुईवे अंग्रेज़ों के बडे़ भक्त थेअनके बहुत प्रशंसक थेक्योंकि मेरे घर, पडौ़स, मोहल्ले एक अचरज और उलार मेंनिहारती हुईकभी कोई जलसा-जुलूस-प्रदर्शन नहीं होताइतने क़रीब उस दुष्ट मनुष्य कोकोई संघर्ष कोई विद्रोह नहीं होताकभी कोई पुलिस-लाठी गोली नहींवही परंपरा आज भी और जो हैइतना दूरमैं पूर्णत: अहिंसक हूँगई फुलझड़ी जलानेमैं विद्रोह नहीं करतागई अनार फोड़नेमैं विरोध नहीं करतामैं संघर्ष नहीं करतायही शाश्वत नियम है मेरा। मुझे सब स्वीकार हैमैं प्रश्न नहीं करतायद्यपि मेरी धमनियों बाबा इनकी रंगतों में रक्त प्रवाह हैहर जीवित प्राणी की भाँतिमेरा अफ़सोस देखनामैं साँस लेता हूँमैं चिंतन कर सकता हूँमैं संवेदनशील हूँमैं सक्रिय शुक्राणु वीर्य वाहक हूँमैं प्रजनन सक्षम हूँमुझे अग्नि किससे कहूँ मन की प्रज्ज्वलन शक्ति का ज्ञान है। परंतु,बाततुम्हें मैं मृत प्राय:हूँमैं एक शव हूँजिसे गिद्ध छोड़ूंगी नहीं खा सकतेक्योंकि,मैं शव धर्मी हूँमैं, मेरा घर मेरे बच्चेमेरा संचित-अर्जित अर्थयही सत्य हैयही शव धर्म है। यही मैं हूँऔर यही तुम हो।  '''रचनाकाल: 13.09.2009आना तुम।
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