गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
जो मुखरित कर जाती थीं / महादेवी वर्मा
1 byte removed
,
15:20, 24 अक्टूबर 2009
मेरा नीरव आवाहन,
मैं नें दुर्बल प्राणों की
वह आज सुला दी कंपन!
थिरकन अपनी पुतली की
भारी पलकों में बाँधी
Rajeevnhpc102
750
edits