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जागिये कृपानिधान जानराय, रामचन्द्र / तुलसीदास
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00:51, 26 अक्टूबर 2009
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|रचनाकार=तुलसीदास
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जागिये कृपानिधान जानराय, रामचन्द्र!
जननी कहै बार-बार, भोर भयो प्यारे॥
तुलसीदास अति अनन्द, देखिकै मुखारबिंद,
छूटे भ्रमफंद परम मंद द्वंद भारे॥
</poem>
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