गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
जो मोहि राम लागते मीठे / तुलसीदास
25 bytes added
,
00:55, 26 अक्टूबर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=तुलसीदास
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जो मोहि राम लागते मीठे।
तौ नवरस, षटरस-रस अनरस ह्वै जाते सब सीठे॥१॥
तुलसीदास प्रभु सो एकहिं बल बचन कहत अति ढीठे।
नामकी लाज राम करुनाकर केहि न दिये कर चीठे॥३॥
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits