Changes

मुरली निर्माण / धर्मवीर भारती

602 bytes added, 16:13, 26 अक्टूबर 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धर्मवीर भारती }} <poem>गड़ने दो यदि फाँसें गड़ी हैं …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=धर्मवीर भारती
}} <poem>गड़ने दो
यदि फाँसें गड़ी हैं उँगलियों में:
मुरली बनाने का यह है अनिवार्य क्रम!

फिर इन्हीं उँगलियों के मादक स्पर्शों से
बाजेगी मुरली फिर अपने अनियारे स्वर
नहीं, नहीं, वृथा नहीं गया
यह सारा श्रम!
</poem>
750
edits