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राघौ गीध गोद करि लीन्हौ / तुलसीदास
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18:09, 26 अक्टूबर 2009
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|रचनाकार=तुलसीदास
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राघौ गीध गोद करि लीन्हौ।
नयन सरोज सनेह सलिल सुचि मनहुँ अरघ जल दीन्हौं॥
तुलसी प्रभु झूठे जीवन लगि समय न धोखो लैहौं।
जाको नाम मरत मुनि दुर्लभ तुमहि कहाँ पुनि पैहौं॥
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