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चेतन जड़ / अशोक चक्रधर
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04:17, 28 अक्टूबर 2009
|रचनाकार=अशोक चक्रधर
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<poem>
प्यास कुछ और बढ़ी
और बढ़ी ।
बेल कुछ और चढ़ी
और चढ़ी ।
प्यास बढ़ती ही गई,
बेल चढ़ती ही गई ।
कहाँ तक जाओगी बेलरानी
पानी ऊपर कहाँ है ?
जड़ से आवाज़ आई--
यहाँ है, यहाँ है ।
</poem>
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